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New Bollywood Movie Aankh Micholi|बॉलीवुड की नई फिल्म आँख  मिचोली

New Bollywood Movie Aankh Micholi

New Bollywood Movie Aankh Micholi

आंख मिचोली एक 2023 भारतीय हिंदी भाषा की कॉमेडी फिल्म है, जो उमेश शुक्ला द्वारा निर्देशित और मेरी गो राउंड स्टूडियो और कल्वर मैक्स एंटरटेनमेंट के बैनर तले आशीष वाघ और उमेश शुक्ला द्वारा निर्मित है ।

Cast

रिलीज़  डेट -3 नवंबर  2023

Crew

Tiger 3 Cast

कहानी

फिल्म ‘आंख मिचोली’ एक ऐसे अतरंगी परिवार की है जो पंजाब के होशियारपुर में खूब प्रसिद्ध है। नवजोत सिंह को भूलने की बीमारी है, उसके बड़े बेटे युवराज सिंह को सुनाई नहीं देता, छोटा बेटा हरभजन सिंह हकलाता है, बेटी पारो सिंह को रात में दिखाई नहीं देता है। क्योंकि  उसे नाइट ब्लाइंडनेस की बीमारी है। नवजोत सिंह अपनी बेटी पारो सिंह की शादी  के लिए एक एनआरआई लड़के रोहित पटेल से शादी की बात चलाते हैं।  स्वीट्जरलैंड से रोहित पटेल अपने मामा और मामी के साथ पंजाब के होशियारपुर में लड़की को देखने के लिए आते हैं। नवजोत सिंह तय करते हैं कि लड़के वालों को अपनी बेटी की बीमारी के बारे में नहीं बताएंगे, वरना रिश्ता टूट जाएगा, लेकिन पारो सिंह झूठ की बुनियाद पर शादी नहीं करना चाहती है। पारो शादी के लिए इस बात पर राजी होती है कि शादी से पहले उसके पिता लड़के वालों को उसकी बीमारी के बारे में बता देंगे।

रोहित पटेल अपने मामा और मामी के साथ होशियारपुर  जिस ट्रेन से लड़की देखने आते हैं, वह ट्रेन पांच घंटे लेट हो जाती है और नवजोत सिंह के घर लड़की को देखने के लिए शाम को पहुंचते हैं। अब समस्या यह है कि पारो को शाम के बाद  दिखाई देता नहीं है। पारो के घर वाले ट्रेनिंग देते हैं कि जब लड़के वाले आएंगे तो उनसे कैसे मिलना है ताकि उन्हें इस बात का संदेश ना हो कि लड़की को दिखाई नहीं देता है। खैर, किसी तरह से पारो इस इम्तिहान में पास हो जाती है और एक हफ्ते के बाद शादी की तारिख तय हो जाती है। नवजोत सिंह का छोटा बेटा हरभजन सिंह लड़के वालों को रेलवे स्टेशन पर छोड़कर चला आता है।  कुछ देर के बाद लड़के वाले फिर वापस आ जाते हैं क्योंकि जिस ट्रेन से उनकी वापसी थी, वह ट्रेन कैंसिल हो गई ।  लड़के के मामा कहते हैं कि कोई होटल अगर आस पास है तो वहां रूक जाएंगे। तभी पारो की भाभी सलाह देती है कि होटल में क्यों रुकना ? इतनी बड़ी हवेली है, इसी हवेली में रूक जाते हैं।  कहानी में नया ट्विस्ट तब आता है जब पता चलता है कि लड़का दिन में नहीं देख सकता है।

फिल्म के निर्देशक उमेश शुक्ला  ने जीतेन्द्र परमार की लिखी  कहानी को इस तरह से पेश किया है कि कहीं भी बोरियत महसूस नहीं होती है। रोहित पटेल के  मामा और मामी को हमेशा इस बात का डर रहता है कि कहीं रोहित का झूठ ना पकड़ा जाए और नवजोत सिंह को हमेशा डर लगा रहता है कि कहीं उनका झूठ ना पकड़ा जाए। दर्शकों के बीच हमेशा इस बात की उत्सुकता बनी रहती है कि पारो कब रोहित पटेल का चेहरा देखे। क्योंकि यह वही रोहित पटेल है, जिससे पारो स्विट्जरलैंड में मिल चुकी थी और मन ही मन  उसे चाहने लगी थी।  लेकिन रोहित पटेल से कभी उसका आमना सामना नहीं हुआ था। कहते हैं पति और पत्नी जिंदगी के दो पहिये के समान होते हैं। अगर जिंदगी में पति और पत्नी के बीच सही तालमेल रहे तो जिंदगी कभी नीरस नहीं होती है।  उमेश शुक्ला  ने अपनी इस फिल्म के माध्यम से यही बात कहने की कोशिश की है। नवजोत सिंह ने अपने बड़े बेटे की शादी ऐसे ही झूठ बोलकर किया था जैसे इस बार अपनी बेटी की शादी करने जा रहे हैं।  और, उनका झूठ आठ साल के बाद पकड़ा जाता है।  इसलिए पारो की भाभी नहीं चाहती है कि पारो की शादी झूठ की बुनियाद पर हो।  वह बार – बार पारो से कहती रहती है कि रोहित से सही बात बतादें।

अगर शादी के बाद पति या पत्नी में से किसी एक को  कुछ हो जाए तो क्या दोनों एक दूसरे को स्वीकार करेंगे? शायद हां, क्योंकि हमारे समाज में शादी का बंधन साथ जन्मों का बंधन होता है। इसी सोच के तहत नवजोत सिंह अपने बड़े बेटे की शादी करवातें हैं। पहले से प्लानिंग के तहत बेटे से एक्सीडेंट होने का नाटक करवाते हैं और अपनी बहु को बताते हैं कि एक्सीडेंट की वजह से उनके सुनने की शक्ति खत्म हो गई। हमारे भारतीय नारी की उदारता यह देखिये कि वह अपने पति को इस अवस्था में भी स्वीकार कर लेती है। लेकिन जब उसे बाद में सच्चाई का पता चलता है तो उसका दिल टूट जाता है। उसका मानना यह है कि किसी भी रिश्ते की बुनियाद झूठ पर नहीं टिकी होनी चाहिए।

किसी फिल्म में अगर परेश रावल जैसे सितारें हो तो पूरी फिल्म अकेले अपने कंधे पर होल्ड कर लेते हैं। लेकिन इस फिल्म में उमेश शुक्ला ने हर किरदार को अपनी प्रतिभा दिखाने का भरपूर मौका दिया है।  नवजोत सिंह की भूमिका में परेश रावल ने फिल्म में अपनी गहरी छाप छोड़ी है, तो वहीं युवराज सिंह की भूमिका में शरमन जोशी, हरभजन सिंह की भूमिका में अभिषेक बनर्जी, पारो सिंह की भूमिका में मृणाल ठाकुर, भाभी की भूमिका में दिव्या दत्ता, मामा की भूमिका  दर्शन जरीवाला, मामी की भूमिका में ग्रुशा  कपूर और ज्वेलर की भूमिका में विजय राज की दमदार अदाकरी नजर आई है।  रोहित पटेल की भूमिका में अभिमन्यु दसानी थोड़े कमजोर दिखे हैं।  मृणाल ठाकुर  के साथ उनके जितने भी दृश्य हैं, उन दृश्यों में नजर सिर्फ मृणाल ठाकुर ने परफार्मेस पर आकर टिकती है।  समीर आर्य की सिनेमैटोग्राफी सामन्य है,वैसे भी जब सिनेमा के दिग्गज सितारों को पर्दे पर परफॉर्म करते देखते हैं तो वहां कैमरा किस एंगल पर लगा है, उस तरफ ध्यान कम ही जाता है।  फिल्म थोड़ी लंबी जरूर है, लेकिन फिल्म के एडिटर स्टीवन एच बर्नार्ड ने फिल्म के दृश्यों को ऐसा सजाया है कि कहीं इस बात का अहसास नहीं हुआ कि किसी दृश्य पर कैंची चलाने की जरूरत थी।  सचिन – जिगर के संगीत निर्देशन में इस फिल्म में चार गाने हैं।  मीका सिंह का गाया टाइटल सांग ‘आंख मिचोली’ के अलावा बाकी गाने सामान्य हैं। 

रिव्यु


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